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आज के दौर में जिन मुद्दों पर सर्वाधिक चर्चा हो रही है उनमें दो मुद्दे हैं आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन. इन दोनों ही मामलों में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लड़ने की क्षमता निहित स्वार्थों के कारण सीमित हो जाती है . वैश्विक शक्तियों में इन मुद्दों के प्रति जो गैर जवाबदेही दिखाई देती है उससे नहीं लगता है कि निकट भविष्य में इनका कोई ठोस हल सामने आने वाला है. जलवायु परिवर्तन पर गठित इंटरगवर्नमेंटल पैनेल ने बार -बार अपने रिपोर्टों में उन कारणों और परिणामों का उल्लेख किया है जिनसे आने वाले समय में बहुत कुछ बदलाव होने की गुंजाइश होगी . जलवायु परिवर्तन की तेज गति एक ऐसा संकट है जिस पर समय-समय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन आयोजित किए जाते रहे हैं. हर बार कुछ निश्चित संकल्पों / विकल्पों के साथ नए सम्मलेन करने और नए समझौतों की बात होती है पर नतीज़ा वही ढाक के तीन पात .
अपने इस ब्लॉग से मैं अभी तक जलवायु परिवर्तन से संबन्धित विविध मुद्दों पर चर्चा आरम्भ कर रहा हूँ . मुझे उम्मीद है कि मुझे पढ़ने वाले आप सभी लोग अपने मतों और अनुभवों को इस मंच पर साझा करेंगे.
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