Menu
blogid : 16 postid : 304

जिस्मफरोशी का नंगा सच

राजनीतिक सरगर्मियॉ
राजनीतिक सरगर्मियॉ
  • 67 Posts
  • 533 Comments

वाकई चौंका देने वाला सच है यह. बिलकुल किसी फिल्मी कहानी की तरह लगती हैं उसकी गतिविधियां. क्यों हैरान हैं ना आप कि आखिर किसका गुणगान किए जा रहा हूं मैं. अरे भाई अपने भीमानन्द जी महाराज का दंग कर देने वाला कृत्य किसी को भी हतप्रभ करने में सक्षम है.

 

और तरक्की ऐसे ही तो हो नहीं जाएगी. बड़े श्रम और चातुर्य की जरूरत होती है तरक्की के लिए. भीमानन्द के इतिहास को देखें तो एक ऐसे व्यक्ति की कहानी सामने आती है जो बेहद महत्वाकांक्षी होने के साथ ही बहुत सुविधा भोगी जीवन बिताने का तमन्नाई था.
अब हर सुख-सुविधा हासिल करनी हो तो रास्ता भी टेढ़ा-मेढ़ा ही होगा. तब फिर भीमानन्द कैसे नहीं चलता उस पथ पर जहॉ कांटे बिखरे पड़े हों. आखिर मनीषी पुरुष जो ठहरा.

 

लक्जरी लाइफ, बड़े लोगों का साथ, अकूत धन-संपदा और कभी ना समाप्त होने वाली भौतिक भूख का जब संगम हो तो कोई भी बहक सकता है फिर यह भीमानन्द क्या चीज है.

 

लेकिन इस रहस्योद्घाटन ने कई ऐसे सवालात खड़े कर दिए हैं जिनका समाधान तलाशना अत्यावश्यक है.

 

• क्या जिस्मफरोशी के धन्धे में उतरने वाली लड़कियां क्या केवल मजबूरी में ऐसे गलत काम को अपना रही हैं?
• क्या समाज का नियंत्रण कम होता जा रहा है?
• नैतिक आदर्शों और मर्यादाओं के लिए कौन सा स्थान बचा रह गया है?
• क्या वेश्यावृत्ति को कानूनी वैधता प्रदान कर देने का समय आ चुका है?

यहॉ मैं क्रमवार हर प्रश्न का उत्तर देने की चेष्टा करुंगा.

 

सबसे पहले “क्या जिस्मफरोशी के धन्धे में उतरने वाली लड़कियां क्या केवल मजबूरी में ऐसे गलत काम को अपना रही हैं?” पर विचार करना उचित होगा.

 

बदलते परिवेश ने बहुत कुछ बदल डाला है. नारी सशक्तिकरण के प्रयास तो चल ही रहे थे किंतु इस बीच ग्लोबलाइजेशन ने काफी कुछ मानदंड परिवर्तित कर दिया है. पहले भौतिक सुखों को अधिक महत्व नहीं दिया जाता था. लेकिन अब सबसे पहले व्यक्तिगत खुशियां पूरा करने की होड़ लग रही है. अब इस क्षेत्र में आने वाली लड़कियां प्रायः हाई प्रोफाइल कॉलगर्ल बन कर अकूत धन इकट्ठा कर रही हैं. कई घटनाओं में पकड़ी जाने वाली लड़कियां कई बार बड़े घरानों से ताल्लुकात रखती नजर आती हैं. तो ऐसे में यह चिंता करने वाली बात हो जाती है कि आखिर किस खुशी की खातिर वे ऐसा कर रही हैं.

 

अभी हाल ही में वेश्यावृत्ति को कानूनी दर्जा देने की मांग उठ रही थी. यहॉ मैं यह पूछना चाहुंगा कि अगर इसे लिगलाइज स्वरूप प्रदान कर दिया जाए तो एक नई समस्या नहीं खड़ी हो जाएगी.

 

आर्थिक उद्देश्यों को लेकर समाज काफी गतिशील हो चुका है. जीविका के नए साधन ढूंढे जा रहे हैं. नारियों की साक्षरता दर और सशक्तिकरण में भी काफी इजाफा हो चुका है. यानी नारी को अब मूर्ख नहीं बनाया जा सकता है. इसका अर्थ है कि जो औरतें गिरा हुआ धन्धा अपना रही हैं उसके पीछे उनकी भौतिक लिप्सा ही जिम्मेदार है.

 

और सबसे अधिक महत्वपूर्ण है समाज के नियंत्रण का शिथिल होना. आधुनिक परिस्थितियों में यह होना ही था. लोग पहले व्यक्तिगत रूप से एक-दूसरे से परिचित होते थे. परंतु अब हम अपने पड़ोसियों के बारे में ही ठीक से नहीं जानते हैं. ऐसे में गलत कृत्यों के लिए काफी स्पेस क्रिएट हो जाता है.

 

अब भी छोटे शहरों और गांवों में मेट्रो शहरों से काफी कम व्यभिचार है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है समय और स्थान की बड़े शहरों में सुलभता होना. छोटे शहरों से लड़कियों के अभिभावक अच्छे भविष्य की चाह में अपने बेटियों को ऊंची पढ़ाई के लिए भेजते हैं लेकिन यहॉ आकर वे लक्जरी लाइफ के चक्कर में एक पेशेवर कॉलगर्ल बन जाती हैं.

 

तो फिर कौन है दोषी? व्यवस्था या व्यक्ति.

 

तो उत्तर एक ही समझ में आता है कि दोषी तो व्यक्ति ही है जिसने अपने लालच को पूरा करने के लिए हर प्रकार के अच्छे –बुरे अवसरों से लाभ उठाने की हर चेष्टा कर डाली है. तो फिर इसका समाधान भी केवल एक ही है अपने लालच और विनाशकारी महत्वाकांक्षा पर बलपूर्वक नियंत्रण कायम किया जाए ताकि बाज़ार की रवायतें अपना असर ना डाल सकें.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh