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बॉलिवुड एक्टर शाइनी आहूजा रेप केस में तब एक यू टर्न आ गया जबकि इस अभिनेता पर रेप का आरोप लगाने वाली उनकी नौकरानी ने कह दिया कि उसके साथ कोई रेप नहीं हुआ था और उसने किसी और के दबाववश ऐसा घिनावना आरोप शाइनी पर मढ़ दिया था.
चौंकाने वाली खबर है साथ ही सोचने पर भी विवश करती है कि ऐसी वारदातें और झूठ के साए कब तक हमारे समाज को डसते रहेंगे. हालांकि अब भी नहीं कहा जा सकता कि सच कौन बोल रहा है. नौकरानी पहले सही थी या अब. और साथ ही बात सिर्फ एक शाइनी की नहीं है ऐसे कई मामले आते हैं जिनमें बदला, लालच या आत्मबचाव की खातिर आरोप दूसरों पे लगा दिए जाते हैं. भले ही परिणाम कुछ भी हो.
आपको इस चर्चित अभिनेता के साथ हुए वाकयात की याद तो होगी ही. एक नौकरानी के साथ संभोग और फिर उस नौकरानी द्वारा रेप का आरोप लगाया जाना जिसने एक झटके की तरह अभिनेता के बहुत सारे अरमानों को खत्म कर डाला साथ ही उसे तीन महीने कालकोठरी में भी बिताने पड़े. दुखद त्रासदी जिसे शायद और लोग तो भूल जाएं लेकिन क्या वो शख्स भी भूल सकेगा जिसके साथ ये हादसा पेश आया.
समाज की ये कड़वी सच्चाई है कि कई बार लोग निरर्थक ही ऐसे मामलों में फंस जाते हैं जिनसे उनका कोई लेना-देना नहीं होता. किसी और के लालच की आग किसी और के आशियाने को चौपट कर देती है. छोटे से स्वार्थपूर्ति की खातिर किसी को भी निशाने पर लिया जा सकता है. किसी का फलता-फूलता घर-परिवार कब बर्बादी की भेंट चढ़ जाए कुछ नहीं कहा जा सकता.
यकीनन ये एक खतरनाक प्रवृत्ति है. ऐसे आरोप-प्रत्यारोपों की श्रृंखला चलती रहती है और सच सामने नहीं आ पाता. हम तो वही सच मान बैठते हैं जो हमारे सामने आता है और अविलंब प्रतिक्रियाएं जारी कर देते हैं. हमारी त्वरित चेष्टा कभी भी परिस्थितिगत विचार करने की नहीं होती. और ऐसे में हम ही रेप कर डालते है बिना कुछ समझे-बूझे. जिस व्यक्ति पर गलत आरोप मढ़ा गया उसका तो बलात्कार हो ही जाता है. भले ही बाद में वह निर्दोष करार दिया जाए लेकिन क्या किसी के मन पे उसके सही होने की छाप पड़ सकेगी?
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