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आज मैं उस इश्यू को लेके चिंतित हूं जबकि शिवसेना ने सलमान को देशभक्ति का सर्टिफिकेट दिया. मीडिया में इस मसले को बहुत हाइप मिली. शिवसेना खुश कि चलो मरती पार्टी को लाइम लाइट में आने का मौका मिला और सलमान भी खुश कि चलो भाई जान छूटी. सलमान के मुंह से बात निकल गयी थी और शायद वो जानते भी थे कि रिजल्ट ऐसा ही कुछ होगा.
और मीडिया को देखिए. उसने इस मसले को ऐसे उछाला जैसे भारत राष्ट्र के प्रति समर्पण का एकमात्र खिताब देने का हक केवल शिवसेना के पास है. वाकई दुःखद और हास्यास्पद है इस तरह का व्यवहार. मीडिया इस तरह से मसले को उछाल के ये जाहिर करती है कि जैसे देश बाल ठाकरे का ऋणी है.
देशभक्त पार्टी का तमगा लगाए हुए गुंडों के दल शिवसेना द्वारा किसी की देशभक्ति को प्रमाणित करना सचमुच सालने वाला है. देश की जनता बेबस और मजबूर की तरह ये नौटंकियां सहती जाती है और ऐसे दलों की मनमानी बढ़ती जाती है. तोड़फोड़, हिंसा, मुम्बई को एक अलग देश की तरह ट्रीट करना और बिहारियों, बंगालियों को सरेआम पीट-पीट के अधमरा कर देना ही तो इनकी ताकत है. क्या यही बाल ठाकरे और राज ठाकरे की देशभक्ति है? क्या इनसे इनकी देशभक्ति का सबूत नहीं मांगा जाना चाहिए?
क्या इनसे इस देशद्रोह का हिसाब नहीं लेना चाहिए?
इस भारत देश की शांति भंग करने वाले किसी भी व्यक्ति को क्यूं बख्श देना चाहिए? क्या सिर्फ इसलिए कि उसने कुछ गुंडों की फौज इकट्ठी कर रखी है और जब-तब कहीं भी तोड़फोड़ को अंजाम दे सकता है. देश के कई भागों में कुछ ऐसे ही फितरती लोग हैं जो अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. हिंदू-मुसलमानों को लड़ा के अपना स्वार्थ साधने वाले देश को अराजकता की आग में झोंक देने में ही अपना लाभ देखते हैं.
देश के कई जगहों पर आज कट्टरपंथ फलफूल रहा है. कश्मीर जल रहा है, आतंकवाद मुस्करा रहा है. निरीह लोगों को पैसे से या जबरदस्ती आतंकवादी बना कर भयादोहन की राजनीति कायम की जा रही है.
कट्टरपंथ एक व्यवसाय है जिसका धन्धा सिर्फ अशांति से चल सकता है. इस तथ्य को सभी को समझना होगा. क्या हम भी इस व्यवसाय के द्वारा शोषित होते रहेंगे या इसका वास्तविक रूप समझ के इस व्यवसाय को खत्म करने में सहयोग करेंगे.
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