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दिल्ली उच्च न्यायालय में हुए बम विस्फोट की सर्वत्र आलोचना हो रही है. लोग सरकार को कोस रहे हैं कि आखिर समय रहते सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत क्यों नहीं किया गया. सरकार अपने गुप्तचर एजेंसियों पर नाकामी का ठीकरा फोड़ रही है. प्रधानमंत्री हमेशा की लाचार, बेबस और असहाय नजर आते हुए कायराना बयान दे रहे हैं. विपक्ष आलोचना और निंदा का पुराना राग अलापने लगा है. आखिरकार देश की राजधानी में हुए बम विस्फोट का मामला है तो इतना हो-हल्ला होगा ही क्योंकि कुछ बातें औपचारिकताओं में शामिल होती हैं जिसे निभाना रश्मी तौर पर जरूरी होता है.
लेकिन इसे सरकार या तंत्र की लापरवाही कहना हमारी भूल है. हम इस गंभीर समय में भी अपनी गलती नहीं पहचान पा रहे हैं. हमारी गलती ये है कि हमने गलत सरकार चुनी है. एक ऐसी सरकार जिसका सारा काम रिमोट सिस्टम से चालित है. सरकार का मुखिया अपंग और विकलांग की भांति किसी निर्देश के इंतजार में बैठा हुआ है. उसका कोई भी निर्णय अपना नहीं होता लेकिन उसे जिनके इशारे पर काम करना है उन्हें भारत से कोई मतलब नहीं, और मतलब है तो सिर्फ इतना कि यहॉ के लोगों पर निरंतर अपनी सत्ता कायम रखनी है.
कांग्रेस के युवराज की मूर्खता से देश लगातार रूबरू हो रहा है. कुछ ही समय पूर्व उन्होंने आतंकी घटनाओं को रोक पाने में अपनी अक्षमता जाहिर कर दी थी. स्पष्ट है कि यदि कभी राहुल को प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला तो देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा. श्रीमती सोनिया गांधी को भारत से क्या कभी लगाव हो भी सकेगा मुझे इसमें संदेह है. उनकी प्रतिबद्धता किससे प्रति है ये तो मालूम नहीं किंतु कम से कम भारत और यहॉ के लोगों के प्रति तो बिलकुल नहीं है. कांग्रेस के अन्य रणनीतिकारों की क्या बात करें. एक हैं श्रीमान दिगविजय सिंह जी जिन्हें देश घात करने के अलावा और कोई काम नहीं सौंपा गया है. कुछ समय पूर्व से वे लगातार इस्लामी आतंकवाद के प्रति सद्भावपूर्ण रवैया अख्तियार किए हुए हैं साथ ही आरएसएस पर मनमाना आरोप लगाते जा रहे हैं. उन्होंने एक नई शब्दावली “हिंदू और भगवा आतंकवाद” की इजाद की है जिससे उन्हें कांग्रेस में खासा महत्वपूर्ण माना जाने लगा है.
अब आप ही बताएं कि जो सरकार अपनी ही नहीं उसे दोष क्या देना. गलती तो हमारी है जो हमने ऐसी सरकार चुनी जो हमारी बोटी-बोटी काट कर आतंकियों और देशघातियों के हवाले कर देना चाहती है.
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